भोपाल, AG News डेस्क — देशभर में जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पं. पुष्पेंद्र मिश्र ने सवाल उठाते हुए कहा है, “क्या ब्राह्मण समाज इस देश का हिस्सा नहीं है? सरकार हमें योजनाओं से वंचित कर रही है, और यह भेदभाव अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
ब्राह्मण समाज का आरोप है कि उन्हें न शिक्षा में कोई विशेष मदद मिलती है, न नौकरी में आरक्षण का लाभ। उन्होंने कहा कि EWS (सामान्य वर्ग आरक्षण) एक धोखा है, जिसमें इतनी शर्तें जोड़ दी गई हैं कि जरूरतमंद ब्राह्मण परिवार भी इसका लाभ नहीं ले पाते।
जातिगत जनगणना पर विरोध
ब्राह्मण समाज का कहना है कि जातिगत जनगणना के नाम पर केवल कुछ वर्गों को सन्तुष्ट करने का राजनीतिक प्रयास किया जा रहा है। “यह संविधान और सामाजिक न्याय दोनों का अपमान है,” पं. मिश्र ने कहा।
EWS आरक्षण की शर्तें: क्यों कहते हैं इसे धोखा?
ब्राह्मण समाज ने बताया कि 10% EWS आरक्षण की पात्रता में इतनी कड़ाई है कि ज़्यादातर योग्य लोग भी इससे वंचित रह जाते हैं:
- 5 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन नहीं होनी चाहिए
- सरकारी नौकरी नहीं होनी चाहिए
- 1000 वर्ग फुट से बड़ा घर नहीं होना चाहिए
- ट्रैक्टर होने पर भी आरक्षण नहीं मिलेगा
- वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए
ब्राह्मण नेताओं ने पूछा कि यदि एक गरीब किसान ब्राह्मण के पास पुश्तैनी ज़मीन या ट्रैक्टर है, तो क्या वह गरीब नहीं कहलाता?
सवालों की झड़ी:
ब्राह्मण समाज ने सरकार से स्पष्ट पूछा:
- क्या संविधान का “समानता का अधिकार” सभी नागरिकों पर लागू नहीं होता?
- क्या जातिगत जनगणना में ब्राह्मण समाज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का निष्पक्ष आकलन किया जाएगा?
सामाजिक बहिष्कार या राजनीतिक रणनीति?
ब्राह्मण समाज का कहना है कि उन्हें जानबूझकर योजनाओं से दूर रखा गया है।
“क्या यह अपराध है कि हमने आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान से जीने का विकल्प चुना?”
ब्राह्मण युवाओं की शिक्षा और भविष्य
देशभर में हजारों ब्राह्मण छात्र गरीबी और संसाधनों की कमी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित हैं। समाज का कहना है कि उन्हें न छात्रवृत्ति मिलती है, न हॉस्टल सुविधा और न ही कोचिंग में सहायता।
अगला कदम: लोकतांत्रिक विरोध
पं. मिश्र ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उपेक्षा जारी रखी तो ब्राह्मण समाज लोकतांत्रिक तरीकों से सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराएगा।
निष्कर्ष:
ब्राह्मण समाज अब केवल कर्तव्य नहीं, अधिकार भी मांग रहा है। उनका कहना है कि समाज के त्याग और योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को चाहिए कि वह निष्पक्ष नीतियों के साथ हर वर्ग को समान अवसर दे।
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