सूरत। गोडादरा में श्रीराम जानकी मंदिर पर आयोजित श्रीराम कथा में संत श्री विनोदानंद जी महाराज जी ने कहा कि सती की परीक्षा लेने की विधि की विडंबना यह है कि वह सीता का वेश बनाती है और भगवान राम के आगे-आगे चलने लगती है। कई लोग भगवान को पीछे छोड़कर आगे चलने लगते हैं और जो लोग भगवान के पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं, तो भगवान का एक स्वभाव है कि वे पीछे रह जाते हैं। जब तक सत्य का दर्शन नहीं करा देते पीछे पड़े ही रहते हैं। यह स्थिति बड़ी भयावह होती है। उन्होंने कहा कि जीवन में शांति के लिए भगवान को आगे रखें और खुद को पीछे रखें। सती वेश तो सीता का बनाती हैं पर आचरण नहीं बदल पाती हैं। वेश ठीक है परंतु आचरण के अभाव में वेश निंदनीय है। चित्र की अपेक्षा चरित्र श्रेष्ठ है। जब जीवन में चरित्र सुंदर होता है तो चित्र खुद ही सुंदर होने लगता है। इस मौके बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रीराम कथा का श्रवण किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में यूपी के श्रम राज्यमंत्री रघुराज सिंह में कथा उपस्थित होकर गुरुजी का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान उनके साथ पूर्व पार्षद यजुवेंद्र दुबे, उद्योगपति अरुण दुबे, बाह्मण समाज के अग्रणी राजाराम मिश्रा समेत कई गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आयोजक मुन्ना तिवारी ने बताया श्रीराम कथा प्रतिदिन 9:00 से 11:00
बजे रात तक की जाती है।