Friday, April 18, 2025
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लाजपोर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 17 कैदियों को सजा पूरी होने से पहले ही रिहा किया

सूरत। लाजपोर सेंट्रल जेल में कैदियों के लिए खेल महोत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान आजीवन कारावास की सजा काट रहे 17 कैदियों को सजा पूरी होने से पहले ही जेल से रिहा किया गया। रविवार को मशाल जलाकर लाजपोर जेल में खेल महोत्सव की शुरुआत की गई। कैदियों ने अलग-अलग खेलों में हिस्सा लिया। इस दौरान आजीवन कारावास की सजा काट रहे 17 कैदियों को सीआरपीसी की धारा 433(ए) के तहत जेल से रिहा किया गया। कलेक्टर की मौजूदगी में जेल सलाहकार समिति की बैठक हुई। इस दौरान 123 कैदियों के केसों की समीक्षा की गई और उन्हें जेल से रिहा करने की दरख्वास्त कमेटी के सामने रखी गई। आजीवन कारावास की सजा काट रहे 26 कैदियों की सजा माफ करके उन्हें रिहा करने पर विस्तृत चर्चा हुई। लाजपोर जेल में अब तक एक साथ इतने कैदियों को रिहा नहीं किया गया है। पहली बार बाकी की सजा माफ करके 17 महिला, पुरुष कैदियों को जेल से रिहा किया गया। कैदियों में खेल के प्रति रुचि पैदा करने के लिए हम भी खेलेेंगे की थीम पर खेल महोत्सव का आयोजन जेल के अंदर ही किया गया था।
रिहा किए गए कैदियों को धार्मिक पुस्तक भेंट की
जेल अधीक्षक जेएन देसाई ने जेल से रिहा होने वाले कैदियों को धार्मिक पुस्तक भेंट की। इसके बाद उनका मुंह मीठा कराया। जेल अधीक्षक ने कैदियों को फिर से अपने घर, समाज में सम्मान से रहने की शुभकामनाएं दी।

जेल से रिहा होने के बाद रोजगार न मिलने पर जेल प्रशासन करेगा मदद
गुजरात राज्य में जेल विभाग के 75 साल के इतिहास में पहली बार 140 से अधिक आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को सजा पूरी होने से रिहा किया गया है। जेल से रिहा होने के बाद कैदियों को रोजगार नहीं मिलता है तो वह जेल अधीक्षक को लिखित आवेदन दे सकते हैं। जेल प्रशासन उन्हें रोजगार दिलाने में पूरी मदद करेगा।

खेल महोत्सव में 528 कैदियों ने हिस्सा लिया
लाजपोर सेंट्रल जेल में आयोजित खेल महोत्सव में रस्सी खींच में 42, चेस में 58, कैरम में 72, वॉलीबॉल में 44, क्रिकेट में 312, नींबू-चम्मच में 20 समेत कुल 528 कैदियों ने हिस्सा लिया। जेल के भीतर इस प्रकार के इवेंट से खिलाड़ियों का उत्साह बड़ेगा वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे।

11 दिसंबर को कैदियों की दिहाड़ी बढ़ाई गई थी
जेल में कैदियों का जीवन स्तर सुधारने, रिहाई के बाद समाज में फिर से प्रस्थापित करने और कौशल विकास के लिए उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार काम दिया जा रहा है। जेल में काम करने के बदले अनस्किल्ड कैदियों को 70, सेमी स्किल्ड कैदियों को 80 और पूरी तरह स्किल्ड कैदियों को 100 वेतन चुकाया जा रहा था। राज्य सरकार ने कैदियों की इस दिहाड़ी को बढ़ा दिया है। अब अनस्किल्ड कैदियों को 110, सेमी स्किल्ड कैदियों को 140 और पूरी तरह स्किल्ड कैदियों को 170 रूपए दैनिक वेतन मिलेेगा। दिहाड़ी बढ़ाने से कैदियों में भारी उत्साह है। जेल के अधिकारियों के कैदियों में मिठाई बांटी, इसके साथ ही जेल परिसर में रंगारंग संगीत कार्यक्रम के साथ गरबा भी खेला गया।

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