जामनगर। जामजोधपुर में 1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट, पुलिस कांस्टेबल प्रवीण सिंह झाला को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनवाई थी। आईपीएस संजीव भट्ट ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोई ने मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत मे फैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट के जस्टिस आशुतोष शास्त्री और संदीप भट्ट की पीठ ने निचली अदालत के फैसले को सही बताते हुए याचिका खारिज कर दी। जामनगर सेशंस कोर्ट ने 2019 में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। संजीव भट्ट तब से जेल में हैं।
साल 1990 में जामनगर के जामजोधपुर में लालकृष्ण आडवाणी की एकता यात्रा के दौरान भारत बंद का एेलान किया गया था। सांप्रदायिक दंगा भड़कने की दहशत में जामनगर जिले के एएसपी संजीव भट्ट और अन्य पुलिस अधिकारियों ने 133 लोगों को टाडा के तहत गिरफ्तार कर बेहरमी से पीटा था। प्रभुदास माधवदास वैष्णव नामक व्यापारी की 18 नवंबर 1990 को हिरासत में मौत हो गई थी। मृतक के भाई ने पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। खंभालिया की सेशंस कोर्ट ने 29 साल बाद महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट, पुलिस कांस्टेबल प्रवीणसिंह झाला को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अन्य आरोपी कांस्टेबल प्रवीण सिंह जाडेजा, अनूपसिंह जेठवा, केशुभा दोलुभा जाडेजा, सब इंस्पेक्टर शैलेेष पंड्या और दीपक कुमार भगवानदास को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने कस्टोडियल डेथ मामले में उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा
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