अयोध्या। नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं। 22 जनवरी को होने वाले इस कार्यक्रम के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से हजारों वीआईपी अतिथियों को आमंत्रित किया गया है। इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी अतिथियों के स्वागत की तैयारी की गई है और सभी को ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर की नींव की खुदाई में निकली हुई मिट्टी रामरज उपहार में दी जाएगी। उन सभी अतिथियों को प्रसाद के रूप में देसी घी से बने विशेष मोतीचूर के लड्डू भी दिए जाएंगे। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े एक सदस्य ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जूट के थैले में पैक की गई राम मंदिर की 15 मीटर की तस्वीर भेंट की जाएगी, जिसमें मंदिर की एक तस्वीर भी होगी। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ट्रस्ट की ओर से देशभर से 11,000 से अधिक अतिथियों को आमंत्रित किया गया है और इन सभी को यादगार उपहार देने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि रामरज एक ऐसा उपहार होगा, जिसे मेहमान हमेशा याद रखेंगे।
मंदिर प्रांगण में 7500 लोग करेंगे प्रवेश
अयोध्या के मंडलायुक्त गौरव दयाल ने बताया कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 7500 लोगों को मंदिर प्रागण में बिठाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि जो भी विशिष्ट मेहमान अयोध्या आएगा, उसे रिसीव करने के साथ ही एक कोड दिया जाएगा। इस कोड के आधार पर उनके बैठने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि वाराणसी के पुजारी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को संपन्न कराएंगे। उनके साथ 4 ट्रस्टी और 4 पुजारी भी रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान मंदिर में बने पांच मंडपों में अलग-अलग सोशल कम्यूनिटी के 15 दंपत्ति भी उपस्थित रहेंगे। प्रांगण में ही पीएमओ भी स्थापित किया जाएगा, जबकि पीएम मोदी की स्पीच के लिए भी एक स्थान को चिन्हित किया गया है जहां से वो इस ऐतिहासिक अवसर पर पूरी दुनिया को संदेश देंगे। इसके अतिरिक्त, परकोटा ईस्ट में धार्मिक संगीत का भी आयोजन होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जटायू की मूर्ति का अनावरण करेंगे
मंडलायुक्त गौरव दयाल ने बताया कि पीएम मोदी अयोध्या के श्रीरामजन्म भूमि परिसर में स्थित कुबेर नवरत्न टीला पर भी जाएंगे, जहां वो पक्षीराज जटायु की मूर्ति का अनावरण करेंगे। यह मूर्ति कांस्य की है। यह दिल्ली से बनकर आई है, जिसकी स्थापना का कार्य दिसंबर में हो चुका है। इस मूर्ति को कुबेर नवरत्न टीला के शिखर की बजाय थोड़ा पहले दर्शन मार्ग पर स्थापित किया गया है। यहां पहले से ही मूर्ति स्थापना के लिए चट्टान का निर्माण किया गया था।