भोपाल:
मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए डॉक्टरों की संविदा नियुक्ति की उम्र सीमा को बढ़ाकर 70 वर्ष करने की तैयारी कर ली है। उपमुख्यमंत्री एवं लोक स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने विभागीय अफसरों को निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाए।
इस फैसले से न केवल सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी को दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि वरिष्ठ चिकित्सकों के अमूल्य अनुभव का भी लाभ आम जनता तक पहुँचाया जा सकेगा।
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क्यों लिया गया यह निर्णय?
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में कई अहम प्रयास जारी हैं। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की भारी कमी है, जिससे दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही थीं।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने स्पष्ट कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि स्वास्थ्य सेवाएं हर व्यक्ति तक सहजता से पहुँचें और उनका स्तर उच्च गुणवत्ता वाला हो। वरिष्ठ डॉक्टरों का अनुभव, अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और समय पर भर्तियों की प्रक्रिया, इन सभी के जरिये व्यवस्था में सुधार लाया जाएगा।
प्रस्ताव के मुख्य बिंदु
- 70 वर्ष की आयु तक संविदा सेवा: वरिष्ठ डॉक्टर अब 70 वर्ष की आयु तक संविदा पर सेवा दे सकेंगे।
- तेजी से भर्ती प्रक्रिया: एमपीपीएससी के माध्यम से मेडिकल ऑफिसर और विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती को तेजी से पूरा किया जाएगा।
- सीनियर डॉक्टर्स की विशेषज्ञता का उपयोग: अनुभवी डॉक्टरों का अनुभव, नए मेडिकल छात्रों और अस्पतालों के कार्य में शामिल किया जाएगा।
- कैबिनेट से मंजूरी: प्रस्ताव को जल्दी से जल्दी कैबिनेट में लाकर पास कराने की योजना है।
डिप्टी सीएम की सक्रियता
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने हाल ही में इंदौर में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के अफसरों के साथ बैठक भी की थी। बैठक में उन्होंने भर्ती प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने और सभी आवश्यक औपचारिकताओं को प्राथमिकता से निपटाने के निर्देश दिए।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि एमपीपीएससी के साथ निरंतर संपर्क में रहें और बिना देरी के डॉक्टर्स की भर्ती को अंतिम रूप दें ताकि अस्पतालों में स्टाफ की कमी दूर हो सके।
मेडिकल कॉलेजों का भी होगा अपग्रेडेशन
राजेंद्र शुक्ल ने रीवा और इंदौर के मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड करने के भी निर्देश दिए हैं। इस अपग्रेडेशन के तहत:
- कॉलेजों के भवन और अधोसंरचना का विकास किया जाएगा।
- अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था होगी।
- नए कोर्स और विशेषज्ञताओं को जोड़ा जाएगा।
- अनुसंधान और नवाचार पर जोर दिया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य है कि इन कॉलेजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर खड़ा किया जाए।
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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का भी समर्थन
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी हाल ही में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में वरिष्ठ चिकित्सकों की सेवाएं लेते रहने के निर्देश दिए थे, जब तक नई भर्तियां पूरी नहीं हो जातीं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए सभी विभाग एक साथ मिलकर काम करें।
संविदा नियुक्ति का प्रभाव
70 साल तक संविदा नियुक्ति की नीति लागू होने के बाद:
- अस्पतालों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ेगी।
- दूरदराज के इलाकों में भी विशेषज्ञ सेवाएं मिल सकेंगी।
- सीनियर डॉक्टरों के अनुभव से युवा डॉक्टरों को मार्गदर्शन मिलेगा।
- मरीजों को बेहतर और सुलभ चिकित्सा सुविधा प्राप्त होगी।
यह कदम विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए लाभकारी साबित होगा जहाँ लंबे समय से विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी थी।
भविष्य की दिशा
राज्य सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले समय में अन्य राज्यों के डॉक्टरों को भी मध्यप्रदेश में सेवाएं देने का अवसर मिलेगा। साथ ही, मेडिकल एजुकेशन को भी आधुनिक बनाने की दिशा में बड़े निवेश और सुधार किए जाएंगे।
स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए टेक्नोलॉजी, टेलीमेडिसिन और डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड जैसी नई सुविधाओं को भी तेजी से लागू किया जाएगा।
“मध्यप्रदेश स्वास्थ्य सेवा में सुधार जानिए”
निष्कर्ष
मध्यप्रदेश सरकार का यह निर्णय स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। वरिष्ठ डॉक्टरों का अनुभव, तेजी से भर्ती प्रक्रिया और मेडिकल कॉलेजों का विकास — ये सभी प्रयास स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक और बेहतर बनाएंगे।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में, राज्य में एक मजबूत और प्रभावी स्वास्थ्य तंत्र स्थापित करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है।
आशा है कि जल्द ही मध्यप्रदेश के नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली और समय पर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।