अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के भागीदार भारत और सहयोगी पाकिस्तान के बीच “जवाबी कार्रवाई” हो चुकी है और अब उन्हें उम्मीद है कि ये दोनों परमाणु संपन्न एशियाई पड़ोसी आगे तनाव न बढ़ाएं।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी बुधवार को सऊदी अरब के अपने समकक्ष के साथ फोन पर बातचीत में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के प्रयासों पर चर्चा की, यह जानकारी अमेरिकी विदेश विभाग ने दी।
मुख्य बयान
“उन्होंने एक-दूसरे पर वार किया है, अब उम्मीद है कि वे रुक सकते हैं,” ट्रम्प ने बुधवार को व्हाइट हाउस में कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा, “मैं दोनों पक्षों को बहुत अच्छी तरह जानता हूं और चाहता हूं कि वे आपस में समाधान निकालें।”
ट्रम्प ने यह भी कहा: “अगर मैं किसी भी तरह मदद कर सकता हूं, तो मैं मौजूद रहूंगा।”
उन्होंने भारत-पाक तनाव को “शर्मनाक” करार दिया।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
बुधवार को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में मिसाइल हमले किए। जवाब में पाकिस्तान ने कुछ भारतीय विमान गिराने का दावा किया और बदला लेने की कसम खाई। यह भारत-पाक के बीच बीते दो दशकों का सबसे बड़ा संघर्ष बन गया।
भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए। वहीं, पाकिस्तान भी अमेरिका का सहयोगी रहा है, हालांकि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी (2021) के बाद उसकी रणनीतिक अहमियत कम हो गई है।
अमेरिका की बातचीत और भूमिका
हाल के दिनों में अमेरिका दोनों देशों के संपर्क में रहा है। बुधवार को भारत के हमलों के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दोनों पक्षों से बातचीत की।
घटनाक्रम का संदर्भ
भारत ने कहा कि उसने आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया, जो अप्रैल 22 के उस आतंकी हमले से जुड़े थे जिसमें भारत-प्रशासित कश्मीर में 26 लोगों की जान गई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज कर तटस्थ जांच की मांग की। उस समय अमेरिका ने भारत का समर्थन किया था, लेकिन पाकिस्तान की सीधी आलोचना नहीं की थी।
पाकिस्तान ने कहा कि बुधवार को भारत के हमलों में 30 से अधिक लोगों की मौत हुई।
विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और गाज़ा में इज़राइल के संघर्ष में अमेरिका की कूटनीतिक भागीदारी के चलते भारत-पाक के इस नए तनाव की शुरुआत में वॉशिंगटन संभवतः ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करेगा।
निष्कर्ष
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का यह बयान भारत और पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि वैश्विक समुदाय इन दोनों देशों से संयम और संवाद की अपेक्षा करता है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव पर अमेरिका की निगाह बनी हुई है, लेकिन अपनी प्राथमिकताओं के चलते अमेरिका शुरुआती स्तर पर सीधा हस्तक्षेप नहीं करना चाहता।
दोनों देशों के लिए यह समय है कि वे आपसी संवाद और शांतिपूर्ण उपायों के ज़रिए इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता तलाशें — क्योंकि जब दोनों परमाणु हथियार संपन्न हों, तो हर ‘जवाबी कार्रवाई’ पूरे क्षेत्र को तबाही के कगार पर ले जा सकती है।
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