Monday, May 12, 2025
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पाकिस्तान में फिर आया भूकंप: 4.6 तीव्रता की दूसरा बड़ा झटका तीन दिनों में

पाकिस्तान में फिर आया भूकंप: 4.6 तीव्रता

पाकिस्तान एक बार फिर धरती के कंपन से कांप उठा। हाल ही में रविवार को देश के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में रिक्टर स्केल पर 4.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। यह तीन दिनों में दूसरा बड़ा झटका है, जिसने लोगों को डरा दिया है। भूकंप के झटके इस्लामाबाद, पेशावर, एबटाबाद, स्वात और आसपास के कई इलाकों में महसूस किए गए।

लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए, कई स्थानों पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि इस झटके में अब तक किसी जान-माल के नुकसान की कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन लगातार आ रहे इन भूकंपों ने नागरिकों के मन में डर भर दिया है।

भूकंप की मुख्य जानकारी

  • तीव्रता: 4.6 रिक्टर स्केल
  • समय: रविवार सुबह लगभग 10:15 बजे
  • एपिसेंटर: अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के पास
  • गहराई: लगभग 130 किलोमीटर
  • प्रभावित क्षेत्र: पेशावर, मर्दान, स्वात, लोअर दीर, एबटाबाद, इस्लामाबाद, और रावलपिंडी

लगातार झटकों की चिंता

यह भूकंप तीन दिन के भीतर दूसरा झटका है। तीन दिन पहले भी 5.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के झटकों की आवृत्ति चिंता का विषय है और यह एक बड़े भूकंप की चेतावनी हो सकती है।

भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार, पाकिस्तान टेक्टॉनिक प्लेट्स की सीमाओं पर स्थित है, जिससे यह भूकंपों के लिए संवेदनशील क्षेत्र बन जाता है। खासकर हिंदूकुश और कोह-ए-सुलेमान जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंपीय गतिविधियां आम बात हैं।

भूकंप का कारण क्या है?

पाकिस्तान जिस क्षेत्र में स्थित है, वहां दो प्रमुख टेक्टॉनिक प्लेटें – इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट – एक-दूसरे से टकरा रही हैं। इस टकराव के कारण धरती की सतह में ऊर्जा का संचार होता है और जब यह ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है तो भूकंप आता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बार का भूकंप अफगानिस्तान के पर्वतीय क्षेत्र में उत्पन्न हुआ, जहां अक्सर गहरी प्लेटों के खिसकने से कंपन उत्पन्न होता है। इसकी गहराई 130 किलोमीटर होने के कारण इसकी सतही प्रभाव शक्ति अपेक्षाकृत कम रही, लेकिन झटके कई शहरों में महसूस किए गए।

भूकंप का सामाजिक प्रभाव

इस भूकंप के झटके भले ही ज्यादा जानलेवा न रहे हों, लेकिन लोगों के मन में भय और असुरक्षा की भावना भर गई है। खासकर जब भूकंप बार-बार आने लगते हैं, तो जनता का भरोसा प्रशासनिक तैयारियों और आपदा प्रबंधन पर डगमगाने लगता है।

लोगों की प्रतिक्रिया:

  • सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने अनुभव साझा किए।
  • कई यूज़र्स ने ट्वीट करके बताया कि झटके इतने तेज़ थे कि पंखे और खिड़कियां हिलने लगी थीं।
  • स्कूल और ऑफिस में मौजूद लोग तुरंत खुले मैदानों की ओर भागे।

सरकारी और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान मौसम विभाग (PMD) ने इस भूकंप की पुष्टि की और नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने संबंधित क्षेत्रों में टीमों को अलर्ट मोड पर रखा है।

क्या तैयारी है पाकिस्तान की?

भले ही पाकिस्तान भूकंप संभावित देश है, लेकिन अभी भी बड़े स्तर पर:

  • बिल्डिंग कोड्स का पालन नहीं हो रहा
  • आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण में कमी है
  • सार्वजनिक चेतना अभियान कम हैं

इससे साफ है कि बार-बार के भूकंप पाकिस्तान के इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूती और प्रशासनिक तैयारियों की असल परीक्षा ले रहे हैं।

ऐसे समय में आम लोगों को क्या करना चाहिए?

जब भी भूकंप आए, कुछ खास बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:

भूकंप के दौरान:

  1. घबराएं नहीं, शांत रहें।
  2. किसी मज़बूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं।
  3. खुले स्थान की ओर जाएं, लेकिन लिफ्ट या सीढ़ियों का प्रयोग न करें।
  4. शीशे या भारी अलमारियों से दूर रहें।

भूकंप के बाद:

  1. अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
  2. किसी भी तरह की गैस लीक, वायरिंग या दीवारों में दरार की जांच करें।
  3. अफवाहों से बचें और केवल विश्वसनीय समाचार स्रोतों से जानकारी लें।

भविष्य की चेतावनी?

भूकंप विशेषज्ञों की मानें तो लगातार आने वाले हल्के झटके कभी-कभी बड़े भूकंप से पहले की चेतावनी होते हैं। इसलिए सरकार को इस दिशा में:

  • सीस्मिक सर्वे बढ़ाने की ज़रूरत है।
  • स्मार्ट अलर्ट सिस्टम को सक्रिय करना चाहिए।
  • जनता को शिक्षित करने के लिए स्कूलों और कॉलोनियों में मॉक ड्रिल कराई जानी चाहिए।

निष्कर्ष:

पाकिस्तान में हाल ही में आया यह 4.6 तीव्रता का भूकंप एक बार फिर यह याद दिलाता है कि प्रकृति की शक्तियां कितनी अनियंत्रित और अकल्पनीय हो सकती हैं। यह समय है कि सरकार, आपदा प्रबंधन एजेंसियां और आम जनता मिलकर इस चुनौती का सामना करें।

हर बार भूकंप के बाद केवल राहत की बात न हो, बल्कि सुधार की ठोस योजनाएं भी सामने आएं। तभी भविष्य में किसी बड़ी आपदा से जान-माल की रक्षा संभव होगी।

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