DGMO
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सीमा पर बढ़ते तनाव और संघर्ष विराम उल्लंघनों की पृष्ठभूमि में एक बार फिर से सैन्य और राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। आज की सबसे बड़ी खबर यह रही कि भारत की तीनों सेनाओं के प्रमुख – थलसेना, वायुसेना और नौसेना – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने उनके आवास पहुंचे। यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे पहले भारत और पाकिस्तान के DGMO (Director General of Military Operations) स्तर पर एक उच्चस्तरीय वार्ता प्रस्तावित है।
यह पूरी स्थिति न केवल सीमा पर तैनात जवानों के लिए, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप की शांति और स्थिरता के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील है।
भारत-पाकिस्तान सीज़फायर LIVE
क्या है DGMO वार्ता?
DGMO वार्ता वह प्रक्रिया होती है जिसमें भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक आपसी संवाद के ज़रिए सीमा पर शांति बनाए रखने की कोशिश करते हैं। यह वार्ताएं फोन कॉल, ईमेल और कुछ मामलों में आमने-सामने की बैठक के माध्यम से होती हैं। दोनों देशों के बीच यह एक स्थापित चैनल है जिसके ज़रिए अनावश्यक संघर्षों और गलतफहमियों को टाला जाता है।
बैठक के संभावित मुद्दे
पीएम मोदी और सेनाध्यक्षों के बीच हुई बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा हो सकती है:
- सीमा पर हालिया हालात का जायज़ा:
पाकिस्तान द्वारा पिछले कुछ हफ्तों में कई बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया है, खासकर जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी सेक्टर में। - जवानों की सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई की नीति:
यह चर्चा हुई होगी कि किस परिस्थिति में भारत को जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए और किस समय संयम बरतना चाहिए। - राजनयिक पहल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संदेश:
भारत अपनी छवि एक शांतिप्रिय देश के रूप में बनाए रखना चाहता है, लेकिन साथ ही अपनी संप्रभुता की रक्षा करना भी ज़रूरी है। इसलिए सैन्य और कूटनीतिक दोनों रणनीतियाँ अहम हैं।
क्यों अहम है यह बैठक?
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जब भी तनाव बढ़ता है, सबसे ज़्यादा असर सीमा पर तैनात जवानों पर होता है। ऐसे में तीनों सेनाओं के प्रमुखों का प्रधानमंत्री से मिलना एक बड़ा संकेत है कि सरकार अब पूरी तैयारी के साथ संभावित खतरों से निपटने के लिए रणनीति बना रही है।
यह बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि पाकिस्तान की ओर से आतंकी घुसपैठ की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। साथ ही, LoC के पास ड्रोन गतिविधियाँ भी बढ़ी हैं।
सीमा पर हालात
पिछले एक महीने में जम्मू-कश्मीर के कई सेक्टरों में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में कई जवान और नागरिक घायल हुए हैं। गांवों में दहशत का माहौल है और स्कूलों को भी बंद करना पड़ा है। ऐसे में DGMO स्तर की बातचीत को उम्मीद की एक किरण के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक निर्णायक नेता की रही है। ऐसे में सेनाध्यक्षों से उनकी मुलाकात न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी एक सख्त संदेश देती है कि भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। यह संदेश न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी है कि भारत अपनी सीमाओं को लेकर सतर्क है।
DGMO वार्ता से क्या उम्मीद?
- संघर्षविराम का पालन:
बातचीत का पहला उद्देश्य होगा कि दोनों पक्ष सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए एक-दूसरे को संघर्षविराम का पूरी तरह पालन करने के लिए राज़ी करें। - घुसपैठ को रोकना:
भारत चाहता है कि पाकिस्तान अपनी धरती से होने वाली आतंकी घुसपैठ को रोके और जिम्मेदारी ले। - ड्रोन गतिविधियों पर रोक:
हाल ही में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के ज़रिए हथियार भेजे जाने की घटनाएं सामने आई हैं। भारत चाहेगा कि यह मुद्दा भी DGMO बैठक में शामिल हो।
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव और राहत का यह चक्र नया नहीं है। लेकिन आज की परिस्थितियाँ कहीं ज़्यादा संवेदनशील और निर्णायक हैं। तीनों सेनाध्यक्षों का प्रधानमंत्री से मिलना दर्शाता है कि भारत हर मोर्चे पर चौकस है – चाहे वह सामरिक हो या राजनीतिक। आने वाले दिनों में DGMO बैठक का नतीजा बहुत अहम होगा और यह दिशा तय करेगा कि उपमहाद्वीप में शांति की ओर बढ़ा जाएगा या फिर संघर्ष और अविश्वास की ओर।
देश की जनता को भी यह समझने की ज़रूरत है कि ऐसी स्थितियाँ केवल सीमा पर तैनात जवानों का नहीं, पूरे राष्ट्र का मामला होती हैं। ऐसे में एकजुटता, संयम और जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है।
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