पाकिस्तानी उच्चायोग अधिकारी 24 घंटे में देश छोड़ने के आदेश
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों में एक बार फिर नया मोड़ आया है। मोदी सरकार ने दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के एक अधिकारी को निष्कासित कर दिया है और उसे 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया है।
विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संबंधित अधिकारी को “आधिकारिक हैसियत के अनुरूप व्यवहार न करने” के चलते निष्कासित किया गया है। यह शब्दावली आमतौर पर तब इस्तेमाल की जाती है जब किसी राजनयिक पर जासूसी या अवांछनीय गतिविधियों में शामिल होने का संदेह हो।
क्या है मामला?
सूत्रों के मुताबिक, उस अधिकारी पर ऐसी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है, जो एक राजनयिक की भूमिका और मर्यादा के अनुरूप नहीं हैं। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन यह संकेत जरूर है कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है।

राजनयिक संबंधों पर असर
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं — चाहे वो सीमा पर संघर्ष हो, आतंकी घटनाएं हों या कूटनीतिक मतभेद। ऐसे में किसी पाकिस्तानी अधिकारी का निष्कासन एक गंभीर संकेत है कि भारत अब राजनयिक नियमों के उल्लंघन को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
यह कदम भारत द्वारा यह स्पष्ट करने का तरीका भी हो सकता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा, चाहे सामने कोई भी देश क्यों न हो।
क्या कहती है कूटनीति?
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में जब किसी देश का राजनयिक इस तरह निष्कासित किया जाता है, तो उसे एक ‘persona non grata’ घोषित कर दिया जाता है — यानी उस व्यक्ति की उपस्थिति अब अस्वीकार्य है। आमतौर पर ऐसे मामलों में जवाबी कार्रवाई भी होती है, यानी पाकिस्तान भी भारत के किसी अधिकारी को निष्कासित कर सकता है।
निष्कर्ष
मोदी सरकार का यह कदम एक ओर जहां राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश भी है कि भारत किसी भी कूटनीतिक अनुशासनहीनता को सहन नहीं करेगा।
यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में भारत-पाकिस्तान संबंधों की दिशा पर प्रभाव डाल सकता है। अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान इस पर कैसे प्रतिक्रिया देता है — संयम से या जवाबी कार्रवाई से।
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